आत्मनिर्भर होनेके लिए स्पेअर पार्टके उत्पादनमें देशी उद्योगोको बढ़ावा देनेकी आवश्यकता

Atmanirbhar Bharat – Raw Material

आत्मनिर्भर होनेके लिए कच्चे माल के उत्पादनमें देशी उद्योगोको बढ़ावा देनेकी आवश्यकता

M Y Team दी. १३ मार्च २०२१

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारतको आर्थिक महासत्ता बनानेके लिये मोदी सरकार जोरसे प्रयास कर रहा है I इसमें चीनसे आनेवाले उत्पादनोपर देशकी अवलंबितता एक बड़ा मुद्दा है I यह वास्तव महत्वपूर्ण है की मोदी सरकारने ऐसे उद्योग क्षेत्रोंको निर्धारित करके उनको बढ़ावा देनेके लिए महत्वपूर्ण कदम लिए है I इस विषयमे मोदी सरकार बड़ी लगाव के साथ काम क्र रही है I

कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भरता कम करना इतनी जल्दी संभव नहीं होगा, क्योंकि देश के अनेक उद्योग चीन आयातित कच्चे माल पर ही निर्भर हैं। भारी उद्योगों में 60 से 90 फीसदी तक, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अलग-अलग क्षेत्रों में 60 से 95 फीसदी तक, सोलर उपकरणों में लगभग पूरी तरह और स्मार्टफोन के पार्ट्स के मामलों में 95 फीसदी पार्ट्स के लिए देश चीन पर निर्भर है।

ग्रैंडव्यू रिसर्च में टेक्नॉलोजी एनालिस्ट मधुमिता चौधरी ने अमर उजाला को बताया कि वर्ष 2019 में देश में स्मार्टफोन और फीचर फोन मिलाकर कुल 22 करोड़ फोन की बिक्री हुई। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण पूरी दुनिया के बाजार लंबे समय तक बंद रहे। देश में भी लंबे समय तक लॉकडाउन लागू रहा। माना जा रहा था कि इससे कुल फोनों की ब्रिक्री के मामले में कमी आ सकती है। लेकिन इस दौरान बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए ऑनलाइन सिस्टम का सहारा लिया गया। इसके कारण कोरोना काल में स्मार्टफोन की बिक्री में खूब बढ़ोतरी हुई और कुल फोनों की ब्रिक्री बढ़कर 23.1 करोड़ तक जा पहुंची।

भारत के दुनिया में दूसरे नंबर पर फोन निर्माता देश हो गया है I  लेकिन देश में ज्यादातर फोन के पार्ट्स विदेश से मंगवाए जा रहे हैं और यहां केवल उनकी असेंबलिंग का काम किया जा रहा है। यह भी इसलिए महत्वपूर्ण है की पहले पूरा फोन ही बहर देशोसे आता था I 2020 में देश में बिके कुल फोनों में आयातित फोन पार्ट का हिस्सा लगभग 90 फीसदी रहा है। यह धीरे धीरे काम होती जाएगा I

कहा जााता है कि केंद्र सरकार ने अघोषित तौर पर चीन से कच्चे सामान के आयात को हतोत्साहित करने का निर्णय ले रखा है, लेकिन स्मार्टफोन के निर्माण में लग रहे कुल उपकरणों का 95 फीसदी हिस्सा आज भी चीन से ही मंगाया जा रहा है। शेष पार्ट्स अमेरिका, नॉर्थ कोरिया, साउथ कोरिया, जापान और जर्मनी जैसे देशों से मंगया जा रहा है।

ऊर्जा विभाग के पूर्व सचिव अजय शंकर के मुताबिक देश तेजी से ऊर्जा जरूरतों के लिए सौर ऊर्जा को अपना रहा है। लेकिन इस सौर ऊर्जा  उद्योग की पूरी निर्भरता चीन पर टिकी हुई है। सोलर ऊर्जा के पैनल से लेकर बैटरी जैसे अहम पार्ट्स चीन से आयात किए जाते हैं। अगर देश को लंबे समय तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है, तो इसके लिए देश को उच्च गुणवत्ता का सोलर पैनल और बैटरी बनाने की क्षमता हासिल करनी होगी। इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति का अवलंबन किया जा रहा है । देश अचानक इन उपकरणों के आयात को रोकने का जोखिम नहीं उठा सकता।

भारतीय व्यापार मंडल के महासचिव वीके बंसल ने कहा कि चीन से लद्दाख में हुए टकराव के बाद ग्राहक भारतीय उत्पादों की मांग अवश्य कर रहे हैं जो एक बड़ा बदलाव है। लेकिन ग्राहकों की इस सोच का असली लाभ तभी उठाया जा सकेगा जब भारतीय उत्पादों की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर की होंगी, क्योंकि आज का ग्राहक गुणवत्ता के मामले में कोई समझौता नहीं करना चाहता। अगर सरकार इन क्षेत्रों में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है तो इसके लिए भारतीय निर्माताओं को तकनीकी और वित्तीय मदद देनी होगी जिससे वे गुणवत्ता और कीमतों के मामलों में चीनी सामानों के सामने टिक सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *