भारतीय रेलवे का सौर ऊर्जा की इस्तेमालसे २०३० तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य

Ground Report- Infra

भारतीय रेलवे का सौर ऊर्जा की इस्तेमालसे २०३० तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य

M Y Team दी. ३१ अगस्त २०२०

सौर ऊर्जा से देश के कई रेलवे स्टेशनों की बिजली की जरूरत पूरी करने के बाद भारत की रेलवे जल्द ही इसका इस्तेमाल ट्रेन चलाने में करने जा रही  है। बीना में रेलवे ने अपनी खाली पड़ी जमीन पर 1.7 मेगावाॅट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का काम पूरा कर लिया है। इसे 25 केवी की ओवरहेड लाइन से जोड़कर ट्रेन चलाने की योजना है। पहली बार देश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से ट्रेनें चलाई जाएंगी।

रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि. (भेल) और भारतीय रेलवे की साझा पहल से संयंत्र लगाए गया है। इसका परीक्षण का काम शुरू हो गया है। अगले 15 दिन में बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। संयंत्र में डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति होगी। संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट होगी। इससे 1.37 करोड़ रुपए की बचत होगी। 

भिलाई में लग रहा है 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र
रेलवे छत्तीसगढ़ के भिलाई में भी अपनी खाली जमीन पर 50 मेगावाॅट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगा रहा है। इसे भी केंद्र की ‘ट्रांसमिशन यूटिलिटी’ से जोड़ा जाएगा। यहां मार्च 2021 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। हरियाणा के दीवाना में दो मेगावाॅट के सौर ऊर्जा संयंत्र में उत्पादन इस साल 31 अगस्त तक शुरू होने की उम्मीद है। विभिन्न स्टेशनों और रेलवे की इमारतों की छतों पर अब तक करीब 100 मेगावाॅट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा चुकी है। रायबरेली स्थित मॉर्डन कोच फैक्ट्री में तीन मेगावाॅट क्षमता का सौर संयंत्र चालू हो चुका है।

रेलवे ने वर्ष 2030 तक शुद्ध रूप से कार्बन निरपेक्ष इकाई बनने का लक्ष्य रखा है। इस प्रयास में एक तरफ उसे कार्बन उत्सर्जन कम करना है तो दूसरी तरफ पेड़ लगाकर कार्बन सिंक तैयार करना है। उसने ऊर्जा के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल का लक्ष्य रखा है। रेलवे की खाली पड़ी जमीनों, प्लेटफार्माें पर बने शेड और इमारतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर वह ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने का भी प्रयास कर रहा है। 

पहले से सौर उर्जा में मंडल रेलवे का बज रहा डंका, अब खाली जमीन पर लगाने से बढेगी ताकत

पूर्व से ही सौर ऊर्जा में मंडल रेलवे का डंका बज रहा है, अब खाली जमीन पर सोलर पैनल लगाने की हरी झंडी मिलने से ताकत बढ़ जाएगी। रेलवे ने बिजली खपत को शून्य करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए। इसके पीछे कारण यह है कि रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म और कार्यालयों पर सोलर पैनल लगाकर पूरे जोन में एक लाख यूनिट बिजली की बचत हुई है।

अगर सिर्फ रायपुर रेलवे मंडल की बात करें तो यहां 58 हजार 400 यूनिट बिजली की खपत कम हुई है। इसके लगातार प्रयोग से अच्छे नतीजे सामने आए हैं। मंडल ने 60 लाख यूनिट बिजली बचत की प्लानिंग बनाई है। यही कारण भी रहा कि रेल मंत्रालय ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया था कि रेलवे की खाली जमीन पर सोलर प्लांट लगाने का इस बार बजट में प्रावधान करें, ताकि बिजली खपत को कम करके रेलवे के घाटे कम किया जा सके। ऐसे में रेलवे की खाली जमीन पर सोलर प्लांट लगेंगे। मंडलों में कुल 45 हजार एकड़ से अधिक खाली जमीन है। इसमें करीब 19 हजार एकड़ जमीन पर पर कब्जे हैं। इसे मुक्त कराना सबसे बड़ी चुनौती है। इसमें से 13 हजार एकड़ जमीन पर तो सिर्फ रायपुर डब्ल्यूआरएस और अन्य स्थानों पर कब्जा है। बहरहाल, सोलर प्लांट के लिए खाली जमीन मंडल के पास करीब 26 हजार एकड़ है। यह रेलवे स्टेशन रायपुर, भिलाई, दुर्ग, कुम्हारी, राजनांदगांव सहित अन्य स्थानों पर है।

अभी ऑफिस और स्टेशनों पर सोलर पैनल लगे हैं, जिन्हें पीपी मोड पर रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी लिमिटेड बनवाने में जुटा है। सूत्रों के मुताबिक इसी तर्ज पर खाली जमीन पर भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे।

-सौर ऊर्जा के क्षेत्र में इस तरह बढ़ा आगे

1-रेलवे स्टेशन और कार्यालयों की छतों पर सोलर पैनल

2-भिलाई वर्कशॉप में तीन लाख यूनिट का संयंत्र हो रहा स्थापित

3-470 केडब्ल्यूपी में से इलेक्ट्रिक लोको शेड भिलाई में 300 किलोवॉट पावर चालू

4-रायपुर रेल प्रबंधक कार्यालय में 70 किलोवॉट पावर चालू

5-उल्लास शिवनाथ रेल विहार में 35 किलोवाट बिजली उत्पादन शुरू

6-डीजल लोको शेड रायपुर में 40 किलो वाट पिक पैनल से औसत 160 यूनिट शुरू

7-रायपुर मंडल में अभी तक 535 किलोवॉट पावर का सोलर प्लांट चालू

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