नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन से सस्ता हो सकता है हेल्थ इंश्योरेंस, लोगों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड करेगा मदद

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नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन से सस्ता हो सकता है हेल्थ इंश्योरेंस, लोगों का स्वास्थ्य रिकॉर्ड करेगा मदद

  • हेल्थ रिकॉर्ड के आधार पर बीमा उत्पादों की कीमत तय करती हैं कंपनियां
  • देश में मार्च से जुलाई के बीच 3 फीसदी बढ़ा हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार

लोगों की डिजिटल हेल्थ प्रोफाइल बनाने के मकसद से लॉन्च किया गया नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन पॉलिसीधारकों और इंश्योरेंस कंपनियों दोनों के लिए लाभदायक होगा। इससे इंश्योरेंस कंपनियों को अपने उत्पादों की बेहतर कीमत तय करने में मदद मिलेगी। हाल ही में एसोचैम की ओर से हेल्थ इंश्योरेंस पर आयोजित राष्ट्रीय ई-समिट में इरडा के सदस्य (नॉन लाइफ इंश्योरेंस) टीएल अलमालू ने कहा कि इस मिशन के लागू होने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस उत्पादों की कीमतें कम हो सकती हैं।

हेल्थ मिशन का फायदा उठाएंगी बीमा कंपनियां

अलमालू ने कहा कि हाल ही में सरकार ने नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की घोषणा की है और इंश्योरेंस कंपनियों को इससे लाभ उठाने की आवश्यकता है। इंश्योरेंस कंपनियों को लोगों को इस प्लेटफॉर्म पर स्वास्थ्य रिकॉर्ड शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस उत्पादों की कीमत पुराने अनुभवों के आधार पर तय होती हैं। सभी वास्तविक कैलकुलेशन ऐतिहासिक डाटा के आधार पर होते हैं। इंश्योरेंस कंपनियों के पास उत्पादों की कीमत तय करते समय पूरा डाटा उपलब्ध नहीं होता है। इससे कंपनियों के नुकसान का अनुपात बढ़ जाता है।

प्रॉफिट के लिए जूझ रही हैं इंश्योरेंस कंपनियां

जनरल इंश्योरेंस सेक्टर में अधिकांश इंश्योरेंस कंपनियां अंडर राइटिंग प्रॉफिट के लिए जूझ रही हैं। यह समस्या उत्पादों की कीमतों के कारण पैदा हो रही है। अलमालू ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण भारतीय बाजार में हेल्थ इंश्योरेंस कारोबार की हिस्सेदारी 27 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी हो गई है। यह बढ़ोतरी मार्च से जुलाई की छोटी अवधि में हुई है।

कोरोना कवच जैसी पॉलिसी को मैनस्ट्रीम में लाने की योजना

अलमालू ने बताया कि कोरोना के जल्द ठीक होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में इरडा कोविड-19 के लिए समर्पित कोरोना कवच जैसी इंश्योरेंस पॉलिसियों को मैनस्ट्रीम में लाने पर विचार कर रहा है। अलमालू के मुताबिक, अधिकांश लोग कोरोना को कवर वाली पॉलिसी साढ़े नौ महीने की अवधि के लिए खरीद रहे हैं। इससे संकेत मिलता है कि पॉलिसीधारक यह मान रहे हैं कि वायरस जल्दी जाने वाला नहीं है।

सौजन्य : दैनिक भास्कर

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