पर्यावरण के लिए घातक थर्मोकोल प्लेट का विकल्प बन कर तेजी से उभर रहा है एक इको फ्रेंडली प्रोडक्ट

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पर्यावरण के लिए घातक थर्मोकोल प्लेट का विकल्प बन कर तेजी से उभर रहा है एक इको फ्रेंडली प्रोडक्ट

शादी ब्याह का मौसम (Wedding Season) आ गया है। शहरों में ही नहीं, गांव-गांव में शादी शुरू हो गई है। इसी के साथ हर गली मोहल्ले में आप थर्मोकोल (Thermocol) से बने कप प्लेटों का भी अंबार देखने लगे होंगे। दरअसल थर्मोकोल से बने प्लेटों (Thermocol Plates) का सही तरीके से निस्तारण नहीं हो तो यह प्रकृति के लिए जंजाल बन जाते हैं।

थर्मोकोल पर्यावरण को नुकसान पहुचाता है

थर्मोकोल का हमारे दैनिक जीवन में बढ़ता उपयोग नदियों, झीलों और समुद्र के पानी पर भी बुरा असर डाल रहा है। पर्यटन स्थलों पर स्थित फूड प्वाइंट्स में इनका बेतहाशा इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि आज समुद्र के पानी में थर्मोकोल के छोटे-छोटे टुकड़े हवा की लहरों में तैरते उतराते देखे जाते हैं। आप कभी इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि थर्मोकोल आज पर्यावरणविदों के लिए ही नहीं बल्कि समूची पृथ्वी के लिए भी एक बड़ा चिंता का विषय साबित हो रहा है। थर्मोकोल चूंकि बायोडिग्रेडेबल नहीं है, जिसके कारण यह जहां कहीं भी कूड़े के रूप में फेंका जाता है, इसके छोटे छोटे टुकड़े जमीन, वायु और समुद्र को प्रदूषित करने का एक बड़ा कारण बन रहे हैं। जिससे मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवरों के भी स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।

किस चीज से बनता है थर्मोकोल

थर्मोकोल बनाने में कई ऐसे ठोस उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी में घुलनशील नहीं होते। इसके अलावा इसे बनाने में इसमें मिलाए जाने वाले तेल, ग्रीस, सल्फाइट और अन्य कई रासायनिक उत्पादों जैसे लेड, मरकरी, आयरन और एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया जाता है। यह पानी में घुलनशील तत्व नहीं होते और यह नदियों और नालों को प्रदूषित करने के साथ नालियों में भी अवरोध पैदा करते हैं। प्लास्टिक की तरह थर्मोकोल ज्वलनशील नहीं है। इसे जलाने के दौरान इससे पैदा होने वाला धुआं पूरे वायुमंडल को प्रदूषित करता है। समुद्र के पानी में थर्मोकोल के छोटे-छोटे तैरने वाले टुकड़े समुद्री जीव जंतुओं के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। यह उन्हें अपना भोजन समझकर खाते हैं। इस वजह से मछली के पेट में भी यह पहुंच रहा है।

थर्मोकोल को बैन कर देना चाहिये

कई प्लेटफार्म से मांग उठती है कि थर्मोकोल से बने कप प्लेटों का उपयोग पर बैन लगे। लेकिन गन्ने की खोई से इस तरह के कप प्लेट बनाने वाली उत्तर प्रदेश की कंपनी यश पक्का लिमिटेड के स्ट्रेटेजी हेड वेद कृष्णा का कहना है कि इस थर्मोकोल उत्पादों पर बैन लगाना सोल्यूशन नहीं है। सोल्यूशन है इसका विकल्प या अल्टरनेट ढूंढना। क्योंकि यदि विकल्प ढूंढे बिना इसे बैन किया गया तो समाज में बड़ी अव्यवस्था की स्थिति हो जाएगी। अब भारत में भी इसका विकल्प आ गया है। जरूरत है कि लोग इसके प्रति जागरूक हों।

थर्मोकोल के विकल्प क्या है ?

इस समय थर्मोकोल के कप प्लेटों के विकल्प में कई शानदार उत्पाद बाजार में दिख रहे हैं। कई लोगों ने सखुआ के पत्तों से कप और प्लेट बनाना शुरू किया है। इसका उपयोग के बाद डिस्पोज करना भी आसाना है और यह पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाता है। चूंकि जंगल कम हो रहे हैं, इसलिए उसकी उपलब्धता भी सीमित है। एक और विकल्प कागज के कप और प्लेट भी सामने आए हैं, लेकिन ये महंगे हैं। दिक्कत यह है कि कागज के साथ भी पर्यावरणविद खड़े नहीं होते। उनका कहना है कागज बनाने के लिए भी पेड़ों को काटना होता है। किताब और कॉपी के लिए कागज बनाना तब पर भी आसान है, लेकिन फूड ग्रेड पेपर बनाने के लिए और सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह खाने पीने से जुड़ा है।

गन्ने की खोई के कप प्लेट एक शानदार विकल्प है

वेद कृष्णा कहते हैं कि थर्मोकोल के बने प्लेटों का सही विकल्प तो गन्ने की खोई से बने कप प्लेट ही हैं। चीनी मिल में जो गन्ने का रख निकाल कर खोई बचती है, उसी से इसे बनाया जाता है। इसलिए यह शत-प्रतिशत पर्यावरण के अनुकूल है। इस तकनीक को अमेरिकी फूड डपार्टमेंट की भी हरी झंडी मिल चुकी है। इस प्लेट के उपयोग के बाद जब फेंका जाता है तो इसे यदि गाय भैंस भी खा ले तो उन्हें नुकसान नहीं होता। यहां तक कि इसे पानी में भी फेंके तो यह कुछ दिनों में गल जाता है। इसे मछली भी खा ले तो उसे नुकसान नहीं पहुंचता।

गन्ने की खोई से बने कप प्लेटों का दाम भी ज्यादा नहीं है। यदि थर्मोकोल से बने कप प्लेटों का मूल्य एक से डेढ़ रुपये के बीच है तो गन्ने की खोई से बने प्लेट का मूल्य 1.80 रुपये है। वेद कृष्णा कहते हैं कि गन्ने की खोई से बने प्रोडक्ट उम्दा होते हैं जबकि इसके दाम मुनासिब हैं। इसे प्राकृतिक तरीके से बनाया जाता है और यह डिस्पोज भी प्राकृतिक तरीके से ही हो जाता है। यहां तक कि इसे गाय भैंस या बकरी भी खा ले तो उनके लिए यह घातक नहीं है। यह गन्ने की खोई से बनता है, इसलिए जानवर भी इसे बड़े चाव से खाते हैं।

सौजन्य-नवभारत टाईम्स

https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-dictionary/this-eco-friendly-product-is-fast-emerging-as-an-alternative-to-thermocol-plates-have-you-seen/articleshow/82140656.cms

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