लॉकडाउन के कारण लोन किश्त न भर पा रहे लोगों और सूक्ष्म,लघु उद्योजकोंको रिझर्व बैंकने दी कर्जों के पुनर्गठन की छूट

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लॉकडाउन के कारण लोन किश्त न भर पा रहे लोगों और सूक्ष्म,लघु उद्योजकोंको रिझर्व बैंकने दी कर्जों के पुनर्गठन की छूट

M Y Team दी. ५ मई २०२१

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ५ मई बुधवार को देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में अवगत कराया और कुछ राहत उपायों की भी घोषणा की। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना वायरस महामारी से त्रस्त व्यक्तियों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) से वसूल नहीं हो पा रहे कर्जों के पुनर्गठन की छूट देने की घोषणा की है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में विभिन्न सेक्टर्स को राहत उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई ने रिजोल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 का ऐलान किया।

रिजोल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत 25 करोड़ रुपये तक का लोन लेने वाले लोग या छोटे कारोबारी लोन रिस्ट्रक्चरिंग की फैसिलिटी का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि उन्होंने पहले इस स्कीम का लाभ नहीं लिया हो। अगर उन्होंने पहले इस स्कीम का लाभ लिया है, तो RBI ने बैंक और लेंडिंग इंस्टीट्यूशंस को प्लान में संशोधन करने और मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने की अनुमति दे दी है।

आरबीआई गवर्नर ने बताया,  ‘ऋण पुनर्गठन संबंधी घोषणा के अंतर्गत कुल 25 करोड़ रुपये तक के कर्ज वाली इकाइयों के बकायों के पुनर्गठन पर विचार किया जा सकेगा। यह सुविधा उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को मिलेगी, जिन्होंने पहले किसी पुनर्गठन योजना का लाभ नहीं लिया है। इसमें छह अगस्त 2020 को घोषित पहली समाधान व्यवस्था भी शामिल है।’

दास ने बताया कि इस नए रिजोल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 का फायदा उन्हीं व्यक्तियों/ इकाइयों को दिया जा सकेगा, जिनके कर्ज खाते 31 मार्च 2021 तक अच्छे थे। कर्ज समाधान की इस नयी व्यवस्था के अंतर्गत बैंकों को 30 सितंबर तक आवेदन दिया जा सकेगा। इसके 90 दिन के भीतर इस स्कीम को लागू करना होगा।

साथ ही आरबीआई गवर्नर ने घोषणा की है कि रेपो रेट पर 50,000 करोड़ रुपये के ऑन-टैप लिक्विडिटी का विंडो 31 मार्च, 2020 तक खुला रहेगा। इस योजना के अंतर्गत बैंक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों, मेडिकल सुविधाओं, अस्पतालों और मरीजों को लिक्विडिटी उपलब्ध करा सकते हैं।

दास ने कहा कि वित्त पोषण की यह सुविधा 31 मार्च 2022 तक खुली रहेगी। इसके तहत बैंक वैक्सीन विनिर्माताओं, वैक्सीन और चिकित्सा उपकरणों के आयातकों और आपूर्तिकर्ताओं, अस्पतालों, डिस्पेंसरी, आक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं और वेंटिलेटर आयातकों को आसानी से कर्ज उपलब्ध कराएंगे। बैंक मरीजों को भी उपकरण आदि के आयात के लिए प्राथमिकता के आधार पर कर्ज दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा इस तरह के कर्ज को ‘प्राथमिकता क्षेत्र के लिए ऋण की श्रेणी’ में रखकर ‘शीघ्रता के कर्ज सुलभ करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

जिन लोगों और छोटे कारोबारों रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क के पहले चरण के तहत लोन रिस्ट्रक्चरिंग का फायदा ले लिया था, जहां रिजॉल्यूशन प्लान में 2 साल से कम के मोरेटोरियम की अनुमति दी गई थी, उनके मामलों में बैंक रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क की दूसरी विंडो के तहत मोरेटोरियम को पूरे दो साल की अवधि के लिए एक्सटेंड कर सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि पहले के चरण के तहत 2 साल पूरी होने में जितनी अवधि कम रह गई थी केवल उसी को कवर करके पूरे दो साल तक कर दिया जाएगा। नए दो साल एड नहीं होंगे। बाकी की शर्तें समान ही रहेंगी।

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